आज ईशान कोण के बारे में जानेगे। … इशान कोण पूर्व ओर उत्तर के
बिच का कोण। .... इशान दिशा का स्वामी है रूद्र आयुध,त्रिशूल। …गुरु ग्रह का प्रभाव भी विशेष देखने को मिलता है। कुंडली में दूसरे और तीसरे स्थान का निरूपण भी ईशान कोण से देखा जा सकता है ,
अर्थात यह कोण पवित्र है अत: या दिशा सर्वदा स्वच्छ रखनी चाहिए।
*इस दिशा में मोटा हॉल अथवा गैलरी हो तो शुभ कहते है। किन्तु टॉयलेट इस दिशा में कुल नाश करता है।
संतान का प्रस्न एवं गृह क्लेश रहता है।
*यदि यह दिशा कम होती है तो संतान कि प्राप्ति होती नहीं या फिर संतान विकलांग या अल्पायु होता है।
*ईशान दिशा निचा हो तो स्वामी को सुख -सम्पति एवं धनलाभ होता है।
*मगर ईशान दिशा वास्तु दोष हो या नैऋत्य कोण निचा हो तो हेल्थ एवं चारित्र्य के प्रश्न होते है।
*अंडर ग्राउंड टैंक ,tube वेल ,कुँवा ईशान कोण में होने से आर्थिक सम्पति बढता है। किन्तु यहाँ पानी का रोटेशन होना भी जरुरी है।
*कुँवा सदा गोलाकार होना चाहिए।
*ईशान कोण देवस्थान के लिए उत्तम है। पूजा में बेठे हुए व्यक्ति का चेहरा पूर्व की ओर होना चाहिए।
*ऑफिस में ईशान में प्रवेश ,देव कि मूर्ति,वाटरकूलर ,मंदिर,विजिटिंग रूम,खुली जगह रखना शुभ होता है।
*ईशान कोण सदा शुद्ध एवं पवित्र रखना चाहिए।
*घर के मुख्य दरवाजे पर त्रिशूल,ॐ ,स्वस्तिक लगाने से गृह स्वामी के अधूरे कार्य पूर्ण हो जाते है।
*प्रात: मुख्य दरवाजे के आगे एक गिलास पानी डालने से गृह में सपन्नता एवं शांति बनी रहती है।
बिच का कोण। .... इशान दिशा का स्वामी है रूद्र आयुध,त्रिशूल। …गुरु ग्रह का प्रभाव भी विशेष देखने को मिलता है। कुंडली में दूसरे और तीसरे स्थान का निरूपण भी ईशान कोण से देखा जा सकता है ,
अर्थात यह कोण पवित्र है अत: या दिशा सर्वदा स्वच्छ रखनी चाहिए।
*इस दिशा में मोटा हॉल अथवा गैलरी हो तो शुभ कहते है। किन्तु टॉयलेट इस दिशा में कुल नाश करता है।
संतान का प्रस्न एवं गृह क्लेश रहता है।
*यदि यह दिशा कम होती है तो संतान कि प्राप्ति होती नहीं या फिर संतान विकलांग या अल्पायु होता है।
*ईशान दिशा निचा हो तो स्वामी को सुख -सम्पति एवं धनलाभ होता है।
*मगर ईशान दिशा वास्तु दोष हो या नैऋत्य कोण निचा हो तो हेल्थ एवं चारित्र्य के प्रश्न होते है।
*अंडर ग्राउंड टैंक ,tube वेल ,कुँवा ईशान कोण में होने से आर्थिक सम्पति बढता है। किन्तु यहाँ पानी का रोटेशन होना भी जरुरी है।
*कुँवा सदा गोलाकार होना चाहिए।
*ईशान कोण देवस्थान के लिए उत्तम है। पूजा में बेठे हुए व्यक्ति का चेहरा पूर्व की ओर होना चाहिए।
*ऑफिस में ईशान में प्रवेश ,देव कि मूर्ति,वाटरकूलर ,मंदिर,विजिटिंग रूम,खुली जगह रखना शुभ होता है।
*ईशान कोण सदा शुद्ध एवं पवित्र रखना चाहिए।
*दोष निवारण के लिए नियोन कि लाइट लगा सकते है। शिवा महिम्न स्तोत्र एवं सोमवार का व्रत शुभत्व देता है।
*घर के मुख्य दरवाजे पर त्रिशूल,ॐ ,स्वस्तिक लगाने से गृह स्वामी के अधूरे कार्य पूर्ण हो जाते है।
*प्रात: मुख्य दरवाजे के आगे एक गिलास पानी डालने से गृह में सपन्नता एवं शांति बनी रहती है।
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