Monday, September 26, 2016
Monday, February 8, 2016
भूमिशुध्दि.... शल्य चक्र
१. प्रश्न में "ब" आये तो वास्तु भूमि के पूर्व भाग में १.५ हस्त नीचे मनुष्य का शल्य होता है।
फल- गृहस्वामी तथा प्रसाद निर्माण करनेवाले की मृत्यु होती है।
२. प्रश्न में "क " आये तो वास्तु भूमि के अग्निकोणे में २ हस्त निचे गधे का शल्य होता है ।
फल- राजदंड का भय और अन्य भय रहते है ।
३. प्रश्न में "च " आये तो वास्तु भूमि के दक्षिण भाग में कमर तक निचे पुरुष का शल्य होता है।
फल- गृहस्वामी का मृत्यु
४. प्रश्न में "त " आये तो वास्तु भूमि के नैऋत्य कोने में १. ५ हस्त निचे गधे का शल्य होता है।
फल-बच्चो के लिए अशुभ है।
५. प्रश्न में "अ " आये तो वास्तु भूमि के पश्चिम भाग में १.५ हस्त निम्न बालक का शल्य मिलता है।
फल-गृहस्वामी नित्य प्रवासी रहता है।
६. प्रश्न में "ह " आये तो वास्तु भूमि के वायव्य कोने में ४ हस्त निचे कोयला और छिलके मिलते है।
फल-यहाँ बुरे स्वप्न एवं मित्रो का नाश होता है।
७. प्रश्न में "स" आये तो वास्तु भूमि के उत्तर भाग में कमर तक निचे खुदाई करने पर ब्राह्मण शल्य मिलता है।
फल-गृहस्वामी निर्धन होता है।
८. प्रश्न में "व् " आये तो वास्तु भूमि ईशान कोने में १. ५ हस्त निचे गाय का शल्य मिलता है\
फल-पशुधन का नाश होता है।
९. प्रश्न में "य " आये तो वास्तु भूमि के मध्य भाग में रदय तक खुदाई पर मस्तिष्क् की शल्य मिलती है।
फल- गृहस्वामी के कुल का नाश होता है।
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