Saturday, May 30, 2020

गृह के समीप वृक्ष

गृह के समीप वृक्ष

वास्तुशास्त्र मैं गृह (वास्तु) कौन कौन से वृक्ष या पौघे लगाना चाहिए उसका विस्तृत वर्णन हैं।

शुभ

अशुभ

अशोक 

पाकर

पुनाग 

गूलर

मौलसरी

आप

समी

नीम

चम्पा 

बहेडा

अर्जुन 

पीपल 

कटहल

कपित्थ

केतकी

अगस्त्थ

चमेली

बेर

पाटल

निर्गुणी

नारियल

इमली 

अन्गुर

कदम्ब

पेरुआ

फेला

वट

नींबू 

सेमल

अनार

बकुल

खतूर

शाल

बेल


वायव्य -  बेल - शुभ

उत्तर - गूलर - नेत्ररोग - हानि 

उत्तर - पाकर - शुभ 

घर के पास काटेवालेदूधवालेफलवाले वृक्ष - स्त्री और संतान की हानि करते हैं। 

काटेवाले वृक्ष शत्रु का भय देते हैं 

दूधवाले वृक्ष घन नाश करते हैं 

बदरी कदली चैव दाडिणी बीजपूरीका ।

पप्ररोहन्ति गृहे यत्र तद्गृहं न प्ररोहति।। "

समरागण सूत्रघार अनुसार) 

बेर-केला-अनार- नींबू - जीस घर मे होते हैं उस घर की वृद्धि नहीं होती। 


अश्वत्थं च कदम्बं च कदलीबीज पूरकम् ।

गृहे यस्य पुरोहितं स गृही न पुरोहित।। "

पीपल - कदम्बं - केला - बीजू- नीबू - बील घर मे हो उसमें रहने वाले की वंश वृद्धि नहीं होती। 


वृक्ष को दिशा के आधार पर शुभाशुभ निर्णय होते हैं। 

पूर्व में - पीपल - भय- निर्धनता 

पूर्व में - बरगद - कामना पूर्ति 

दक्षिण में - पाकर - रोग - पराजय 

अग्नि में - वट - पीपल - सेमल - पाकर - गुलर - पीड़ा - मृत्यु 

अग्नि में - अनार - शुभ

नैऋत्य में - इमली - शुभ 

दक्षिण-नैऋत्य में - जामुन - कदम - शुभ 

पश्चिम में - वट - राजपीडा - स्त्रीनाश - कुलनाश

पश्चिम में - आम - अगस्त्थ - निर्गण्डी - धननाश

पश्चिम में - पीपल – शुभ


मालतीं माल्लिकां मोचां चिञ्चां श्र्वेतां पराजिताम् ।

वास्तुन्यां शेपयेधस्तु स शस्त्रेण निहन्यते ।।"

मालती - मल्लिका - मोचा(कपास)इमली - विष्णुकान्ता तथा अपाराजिता बीज जगह उगते है। 

वह शस्त्र से मृत्यु होता है। 

घर के पूर्व - पश्चिम - उत्तर या इशानमे वाटिका शुभ 

वहां सदा गायत्री से युक्त - दान देनेवाला - यज्ञ करनेवाला होता है। 


घर के अग्नि - दक्षिण - नैऋत्य - वायव्य में वाटिका बनाता है उसे धन-पुत्र की हानि - अपकिर्ती मिलती है।


घर के पास में क्या हो तो शुभ

 
वास्तुशास्त्र में बहुत अच्छी तरह बताया गया है की घर के नजिक या पास में क्या हो तो शुभ होता है| 

घर के समीप सचिवालय  हो तो धन हानि होती है | 
यदि धूर्त का घर हो तो पुत्र नाश होता है | 
मंदिर हो तो  उद्वेग (अशान्ति ) होती है | 
अगर बड़ा सा गड्ढ़ा  हो तो पिपासा मिलती है | घर के पास चौराहा हो तो अपयश तथा कूर्माकार जमीन  हो तो  धन नाश होता है | 
घर के पास यदि जमीन  पोली एवं दीमक युक्ता होती है तो  विपत्ति अधिक आती है |
घर के पास यदि जमीन  पोली एवं दीमक युक्ता होती है तो  विपत्ति अधिक आती है | 
नगर के मुख्य द्वार के पास,याग्निशाला, शिल्पी के घर के पास,जुगार खेलने तथा मांस  मदिरा वेचनेवाले स्थल,राजमार्ग,देवमार्ग,राजा के महल के पास,राजा के सर्वेन्ट्स के घर के पास घर नहीं बनाना चाहिए |